UP Free Bus Service 2023 | यूपी फ्री बस सर्विस पात्रता, दस्तावेज और आवेदन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश के नागरिकों के लिए फिर से उत्तर प्रदेश सरकार लेकर आई है एक बड़ी खबर , जैसा कि हम सब जानते हैं उत्तर प्रदेश सरकार लगातार राज्य के युवाओं ,महिलाओं, बच्चों और वृद्धजनों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का समय समय पर आरंभ करती रहती है। सरकार यह सुनिश्चित करती है कि राज्य में नागरिकों का विकास बेहतर तरीके से होता रहे और नागरिकों को किसी प्रकार की कोई असुविधा ना हो । राज्य में उनका जीवन आसान और सुलभ हो सके इसीलिए सरकार लगातार नई योजनाओं का गठन करती रहती है। इसी संदर्भ में हाल ही में सरकार ने UP Free Bus Service की घोषणा की है । हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने UP Free Bus Service 2023 की घोषणा की है जिसमें उन्होंने बताया है कि यह UP Free Bus Service 2023, 60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए शुरू की जा रही है। जिससे वह सरकारी रोडवेज बसों में यातायात सेवा का लाभ उठा सकेंगे। UP Free Bus Service 2023 योजना UP Free Bus Service 2023 सरकार उत्तर प्रदेश सरकार लाभार्थी उत्तर प्रदेश वरिष...
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Lucknow : चूक गए चौहान, राजकुमार ने संभाली कमान, डीजीपी बनते ही विश्वकर्मा लगातार कर रहे थे समीक्षा
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Lucknow : चूक गए चौहान, राजकुमार ने संभाली कमान, डीजीपी बनते ही विश्वकर्मा लगातार कर रहे थे समीक्षा
माफिया अतीक अहमद - फोटो : अमर उजाला।
पूर्व कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान भी सेवानिवृत्त होने से पहले 35 दिन तक शूटरों को पकड़ने के लिए प्रयासरत रहे। हालिया डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा के नेतृत्व के 13 दिन बाद जब एसटीएफ को शूटरों को ढेर करने में कामयाबी मिली तो अधिकारियों के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई।
Lucknow : चूक गए चौहान, राजकुमार ने संभाली कमान, डीजीपी बनते ही विश्वकर्मा लगातार कर रहे थे समीक्षा
पूर्व कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान भी सेवानिवृत्त होने से पहले 35 दिन तक शूटरों को पकड़ने के लिए प्रयासरत रहे। हालिया डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा के नेतृत्व के 13 दिन बाद जब एसटीएफ को शूटरों को ढेर करने में कामयाबी मिली तो अधिकारियों के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई।
माफिया अतीक अहमद - फोटो : अमर उजाला।
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कानपुर के बिकरू कांड से ज्यादा प्रदेश पुलिस को प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड ने परेशान किया। बीते 49 दिन से शूटरों की तलाश कर रहे प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट और एसटीएफ को खासी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्व कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान भी सेवानिवृत्त होने से पहले 35 दिन तक शूटरों को पकड़ने के लिए प्रयासरत रहे। हालिया डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा के नेतृत्व के 13 दिन बाद जब एसटीएफ को शूटरों को ढेर करने में कामयाबी मिली तो अधिकारियों के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई।
दरअसल, आरके विश्वकर्मा ने डीजीपी पद का दायित्व संभालने के बाद सबसे पहले उमेश पाल हत्याकांड की जांच की प्रगति जानी। वे रोजाना इस मामले की समीक्षा भी कर रहे थे। इस बीच पुलिस पर शूटरों को पकड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा था। खासकर अतीक को पहली बार साबरमती जेल से प्रयागराज लाने के बाद उसे रोक पाने में विफलता से विभाग की खासी किरकिरी हो रही थी।
नए डीजीपी ने इस प्रकरण के सभी पहलुओं को जानने के बाद योजनाबद्ध तरीके से अतीक और उसके शूटरों पर कानून का शिकंजा कसने की योजना बनाई। यही वजह रही कि इस बार अतीक को लाने में न केवल पुलिस को कामयाबी मिली बल्कि, उसके प्रयागराज आते ही असद और गुलाम के एनकाउंटर से पूरे गिरोह में पुलिस का खौफ पसर गया।
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